आजकल अनियमित दिल की धड़कनें यानी हार्ट रिदम डिसऑर्डर एक आम समस्या बनती जा रही है, खासकर उम्रदराज लोगों में। इन समस्याओं का इलाज समय पर न किया जाए तो यह गंभीर रूप ले सकती हैं। ऐसी स्थिति में पेसमेकर एक बेहद उपयोगी तकनीक के रूप में सामने आता है। यह छोटा सा उपकरण दिल की धड़कन को नियंत्रित करता है और मरीज के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाता है।
इस ब्लॉग में हम विस्तार से जानेंगे कि पेसमेकर क्या है, यह कैसे काम करता है, कार्डियोलॉजी विभाग किन परिस्थितियों में इसकी सलाह देता है, और इसके इंप्लांटेशन के बाद किन बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है।
पेसमेकर क्या होता है?
पेसमेकर एक छोटा इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस होता है जिसे हृदय की धड़कन को नियंत्रित करने के लिए शरीर में त्वचा के नीचे छाती के पास इंप्लांट किया जाता है। यह उपकरण हृदय की लय को मॉनिटर करता है और जब भी धड़कन बहुत धीमी या अनियमित हो जाती है, तो यह हल्के विद्युत संकेत भेजकर उसे सामान्य करता है। पेसमेकर की मदद से दिल की क्रियाशीलता में सुधार होता है और मरीज को चक्कर आना, थकान, या बेहोशी जैसी समस्याओं से राहत मिलती है।
पेसमेकर के प्रकार
पेसमेकर मरीज की स्थिति और जरूरत के अनुसार कई प्रकार के होते हैं:
- सिंगल-चेम्बर पेसमेकर
यह पेसमेकर हृदय के किसी एक चैम्बर (अक्सर दाहिना वेंट्रिकल) से जुड़ा होता है और धीमी धड़कन को नियंत्रित करता है। - डुअल-चेम्बर पेसमेकर
यह पेसमेकर एट्रियम और वेंट्रिकल दोनों चैम्बर्स से जुड़ा होता है और इन दोनों के बीच तालमेल को बनाए रखता है। - बाई-वेंट्रिकुलर पेसमेकर (CRT)
यह उपकरण उन मरीजों के लिए होता है जिन्हें हार्ट फेल्योर की शिकायत होती है। यह दोनों वेंट्रिकल्स को सिंक्रोनाइज़ करता है जिससे पंपिंग एफिशिएंसी बेहतर होती है। - लीडलेस पेसमेकर
यह एक उन्नत तकनीक है जिसमें कोई तार नहीं होता और यह सीधे हृदय के अंदर इंप्लांट किया जाता है। यह छोटे आकार का होता है और इसके संक्रमण के जोखिम भी कम होते हैं।
पेसमेकर की आवश्यकता कब होती है?
पेसमेकर की जरूरत तब पड़ती है जब दिल की धड़कन असामान्य हो जाती है। इसके कारण व्यक्ति को थकान, सांस फूलना, बेहोशी, या चक्कर आने जैसे लक्षण महसूस हो सकते हैं। मुख्य स्थितियां जिनमें पेसमेकर की सलाह दी जाती है:
- ब्रैडीकार्डिया – जब दिल की धड़कन सामान्य से बहुत धीमी हो जाती है।
- हार्ट ब्लॉक – जब दिल में इलेक्ट्रिकल सिग्नल ट्रांसमिशन में बाधा आती है।
- एट्रियल फिब्रिलेशन – एक प्रकार की अनियमित धड़कन जिससे अन्य जटिलताएं हो सकती हैं।
- कंजेस्टिव हार्ट फेल्योर – जब दिल सही तरीके से रक्त पंप नहीं कर पाता।
पेसमेकर कैसे काम करता है?
पेसमेकर हृदय की धड़कन को नियमित बनाए रखने के लिए इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल भेजता है। यह डिवाइस लगातार दिल की रफ्तार पर नजर रखता है। जैसे ही यह डिवाइस नोट करता है कि हृदय की धड़कन धीमी हो रही है या बंद हो गई है, यह तुरंत इलेक्ट्रिक इंपल्स भेजकर उसे सामान्य गति में लाता है।
कुछ आधुनिक पेसमेकर वायरलेस तकनीक से भी लैस होते हैं, जो रिमोटली डॉक्टर को डेटा भेज सकते हैं और रोगी की स्थिति पर नजर रखना आसान बनाते हैं।
पेसमेकर लगवाने के फायदे
- धड़कन की नियमितता बनाए रखना – हृदय की लय को सामान्य करके रक्त प्रवाह को बेहतर बनाता है।
- लक्षणों में राहत – जैसे थकावट, चक्कर, और सांस फूलना आदि में सुधार होता है।
- जीवन की गुणवत्ता में सुधार – मरीज पहले की तुलना में अधिक सक्रिय और सामान्य जीवन जी सकता है।
- आपातकाल से बचाव – कई बार पेसमेकर समय पर लगवा लेने से दिल की गंभीर समस्याओं से बचाव हो सकता है।
पेसमेकर लगाने के बाद जरूरी सावधानियां
- भारी सामान उठाने से बचें – खासकर सर्जरी के बाद पहले कुछ हफ्तों तक कंधों और छाती पर जोर डालने से बचें।
- इंफेक्शन से बचाव – इंप्लांट साइट पर सूजन, लालिमा या पस दिखे तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
- नियमित फॉलो-अप – डॉक्टर द्वारा तय किए गए शेड्यूल पर चेकअप करवाएं।
- MRI जैसी जांच से परहेज – जब तक डॉक्टर न कहें, MRI न करवाएं क्योंकि इससे पेसमेकर पर असर पड़ सकता है।
- मोबाइल और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से दूरी – इन्हें पेसमेकर से 15-20 सेंटीमीटर दूर रखें।
पेसमेकर लगने के बाद का खानपान
पेसमेकर इंप्लांटेशन के बाद कोई विशेष डाइट की जरूरत नहीं होती, लेकिन एक हृदय-स्वस्थ भोजन को अपनाना लाभकारी होता है। इसमें ताजे फल, हरी सब्जियां, साबुत अनाज और कम वसा वाले प्रोटीन को शामिल करें। तले हुए और अत्यधिक नमक वाले खाने से बचना चाहिए।
पेसमेकर से जुड़े सामान्य प्रश्न
Q. पेसमेकर कितने साल चलता है?
A. आमतौर पर पेसमेकर की बैटरी 5 से 15 साल तक चलती है।
Q. क्या पेसमेकर लगाने में दर्द होता है?
A. सर्जरी के दौरान लोकल एनेस्थीसिया दिया जाता है, जिससे दर्द नहीं होता। बाद में हल्का दर्द या असहजता हो सकती है।
Q. क्या पेसमेकर हार्ट अटैक को रोकता है?
A. पेसमेकर हार्ट अटैक को सीधे नहीं रोकता लेकिन अनियमित धड़कनों से होने वाले जोखिम को कम करता है।
Q. क्या पेसमेकर कभी काम करना बंद कर सकता है?
A. बहुत कम मामलों में बैटरी खत्म होना या तार की समस्या के कारण पेसमेकर बंद हो सकता है, इसलिए नियमित चेकअप जरूरी है।
निष्कर्ष
अगर आप या आपके किसी प्रियजन को लगातार थकान, चक्कर आना, या सांस लेने में दिक्कत जैसी समस्याएं हो रही हैं, तो इसे नजरअंदाज न करें। समय रहते कार्डियोलॉजिस्ट से संपर्क करें और ज़रूरत पड़ने पर पेसमेकर एक कारगर समाधान हो सकता है। जयपुर में कार्डियक केयर के लिए विश्वसनीय संस्थानों में से एक M2 ManglamPlus Medicity Hospital आपके लिए अनुभवी हृदय रोग विशेषज्ञ और अत्याधुनिक सुविधाओं के साथ उपलब्ध है।