आंखों की रोशनी हमारे जीवन का सबसे अहम हिस्सा होती है। लेकिन कुछ बीमारियाँ धीरे-धीरे हमारी दृष्टि को प्रभावित करती हैं, और व्यक्ति को इसका पता भी नहीं चलता। ऐसी ही एक गंभीर बीमारी है ग्लूकोमा (Glaucoma), जिसे आमतौर पर लोग कालापानी के नाम से जानते हैं। यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें आंखों के अंदर दबाव (Intraocular Pressure) बढ़ने लगता है, जिससे ऑप्टिक नर्व को नुकसान पहुंचता है और दृष्टि हानि हो सकती है।
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइज़ेशन के अनुसार, ग्लूकोमा दुनिया में अंधेपन का दूसरा सबसे प्रमुख कारण है। यह एक स्थायी रोग है, जिसे पूरी तरह ठीक नहीं किया जा सकता, लेकिन यदि समय पर पहचान हो जाए और सही इलाज शुरू कर दिया जाए, तो इसकी प्रगति को रोका जा सकता है और दृष्टि को काफी हद तक बचाया जा सकता है। इस ब्लॉग में हम ग्लूकोमा के लक्षण, कारण, प्रकार और उपलब्ध उपचार विकल्पों के बारे में विस्तार से जानेंगे।
ग्लूकोमा क्या है?
ग्लूकोमा एक प्रकार की नेत्र रोग स्थिति है जिसमें आंखों के अंदरूनी दबाव (I.O.P.) बढ़ जाता है। यह दबाव ऑप्टिक नर्व को धीरे-धीरे नुकसान पहुंचाता है, जो हमारे मस्तिष्क तक दृष्टि की जानकारी पहुंचाने का कार्य करती है। यह रोग सामान्यतः धीरे-धीरे बढ़ता है और व्यक्ति को तब तक पता नहीं चलता जब तक उसकी दृष्टि पर असर न पड़े।
ग्लूकोमा मुख्य रूप से दो प्रकार का होता है:
- ओपन एंगल ग्लूकोमा (Primary Open-Angle Glaucoma) – यह सबसे सामान्य प्रकार है और धीरे-धीरे विकसित होता है।
- एंगल-क्लोज़र ग्लूकोमा (Angle-Closure Glaucoma) – यह अचानक होता है और बेहद दर्दनाक हो सकता है। इसे मेडिकल इमरजेंसी माना जाता है।
ग्लूकोमा के लक्षण
ग्लूकोमा की शुरुआत में अक्सर कोई स्पष्ट लक्षण नहीं होते, इसलिए इसे “साइलेंट थिफ ऑफ विज़न” भी कहा जाता है। लेकिन जैसे-जैसे यह प्रगति करता है, इसके कुछ लक्षण दिखाई देने लगते हैं:
ओपन एंगल ग्लूकोमा के लक्षण:
- धीरे-धीरे दृष्टि का कम होना (विशेष रूप से साइड विज़न)
- दोनों आंखों में धुंधलापन
- रात में देखने में कठिनाई
एंगल-क्लोज़र ग्लूकोमा के लक्षण:
- अचानक तेज आंख दर्द
- सिरदर्द
- जी मिचलाना या उल्टी आना
- आंखें लाल होना
- धुंधली दृष्टि और लाइट के चारों ओर रंगीन घेरे दिखना
अगर आपको इनमें से कोई भी लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत नेत्र रोग विशेषज्ञ से संपर्क करें।
ग्लूकोमा होने के कारण
ग्लूकोमा का मुख्य कारण आंखों में द्रव (fluid) का संतुलन बिगड़ना है, जिससे आंखों के अंदर दबाव बढ़ता है। इसके अतिरिक्त, निम्न कारण ग्लूकोमा के जोखिम को बढ़ा सकते हैं:
- उम्र बढ़ना (विशेष रूप से 40 वर्ष के बाद)
- परिवार में ग्लूकोमा का इतिहास
- डायबिटीज़ और हाई ब्लड प्रेशर
- अत्यधिक निकट दृष्टि दोष (High Myopia)
- आंख में चोट लगना
- लंबे समय तक स्टेरॉइड दवाओं का उपयोग
- काली आंखों वाले लोगों में अधिक जोखिम
ग्लूकोमा का पता कैसे लगाया जाता है?
ग्लूकोमा की जल्दी पहचान दृष्टि को बचाने के लिए बेहद ज़रूरी होती है। इसके लिए निम्न जांचें की जाती हैं:
- आई प्रेशर टेस्ट (Tonometry) – आंखों का अंदरूनी दबाव मापा जाता है।
- ऑप्टिक नर्व की जांच (Ophthalmoscopy) – ऑप्टिक नर्व की स्थिति देखी जाती है।
- परिधीय दृष्टि परीक्षण (Perimetry) – साइड विज़न की जांच की जाती है।
- गोनियोस्कोपी (Goneoscopy) – एंगल की स्थिति जाँची जाती है।
नियमित आंखों की जांच से ग्लूकोमा का शुरुआती अवस्था में पता लगाया जा सकता है।
ग्लूकोमा का उपचार
ग्लूकोमा का कोई पूर्ण इलाज नहीं है, लेकिन समय पर उपचार से इसके बढ़ने की गति को धीमा किया जा सकता है और दृष्टि को बचाया जा सकता है। उपचार के विकल्प निम्न हैं:
1. आंखों की ड्रॉप्स:
ग्लूकोमा के शुरुआती चरण में डॉक्टर कुछ विशेष ड्रॉप्स देते हैं, जो आंखों के दबाव को कम करते हैं।
2. दवाइयाँ:
कभी-कभी दबाव कम करने के लिए मौखिक दवाएं दी जाती हैं।
3. लेज़र थेरेपी:
लेज़र की मदद से आंखों से अतिरिक्त तरल निकाला जाता है या निकासी की प्रक्रिया को बेहतर किया जाता है।
4. सर्जरी:
यदि दवाओं और लेज़र से सुधार न हो, तो ऑपरेशन की सलाह दी जाती है। Trabeculectomy या Drainage Implant जैसी प्रक्रियाएं की जा सकती हैं।
ग्लूकोमा से बचाव कैसे करें?
ग्लूकोमा पूरी तरह रोका नहीं जा सकता, लेकिन कुछ सावधानियां अपनाकर इसके जोखिम को कम किया जा सकता है:
- नियमित नेत्र जांच करवाएं, विशेष रूप से यदि आप 40+ हैं या परिवार में किसी को यह रोग है।
- आंखों की चोट से बचाव करें।
- डायबिटीज़ और बीपी को नियंत्रित रखें।
- लंबे समय तक स्टेरॉइड्स लेने से बचें।
- स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं – जैसे नियमित व्यायाम, संतुलित आहार और धूम्रपान से दूरी।
निष्कर्ष
ग्लूकोमा एक गंभीर लेकिन धीरे-धीरे बढ़ने वाली आंखों की बीमारी है, जो समय पर पहचानी न जाए तो स्थायी दृष्टि हानि का कारण बन सकती है। इसलिए, नियमित जांच और सतर्कता ही इस रोग से बचाव का सबसे अच्छा तरीका है। यदि आपको आंखों में दर्द, धुंधलापन या अन्य लक्षण महसूस हों, तो इसे नजरअंदाज न करें और तुरंत नेत्र रोग विशेषज्ञ से संपर्क करें। मंगलम प्लस मेडिसिटी (M2 Hospital) में अनुभवी नेत्र विशेषज्ञों की टीम द्वारा ग्लूकोमा की सटीक जांच और आधुनिक तकनीकों से इलाज किया जाता है। ग्लूकोमा का समय पर इलाज ही आपकी रोशनी को बचाने का सबसे बड़ा उपाय है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
Q1. क्या ग्लूकोमा का इलाज संभव है?
ग्लूकोमा का पूर्ण इलाज नहीं है, लेकिन समय पर जांच और उपचार से इसकी प्रगति को धीमा किया जा सकता है।
Q2. ग्लूकोमा किस उम्र में होता है?
ग्लूकोमा किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन 40 वर्ष की आयु के बाद इसका खतरा अधिक होता है।
Q3. क्या ग्लूकोमा से अंधापन हो सकता है?
हां, अगर समय पर इसका इलाज न किया जाए, तो ग्लूकोमा स्थायी अंधापन का कारण बन सकता है।
Q4. ग्लूकोमा की जांच कितने समय में करवानी चाहिए?
40 वर्ष के बाद हर 1-2 साल में आंखों की पूरी जांच करवाना आवश्यक होता है, खासकर यदि परिवार में किसी को ग्लूकोमा है।